22 June, 2007

आज जाने की ज़िद ना करो

आज जाने की ज़िद ना करो
यूँही पेहलू में बैठे रहो
आज जाने की ज़िद ना करो
हाय मार जाएँगे हम तो लूट जाएँगे
ऐसी बातें किया ना करो
आज जाने की ज़िद ना करो


तुम ही सोचो ज़रा, क्यूं ना रोके तुम्हे
जान जाती है जब उठ के जाते हो तुम
तुमको अपनी क़सम जान-ए-जान
बात इतनी मेरी माँ लो
आज जाने की ज़िद ना करो
यूँही पेहलू में बैठे रहो
आज जाने की ज़िद ना करो

वक़्त की क़ैद में ज़िंदगी है मगर
चाँद घड़ियान एही हैं जो आज़ाद हैं
इनको खोकर मेरे जान-ए-जान
उम्र भर ना तरसते रहो
आज जाने की ज़िद ना करो
यूँही पेहलू में बैठे रहो
आज जाने की ज़िद ना करो

कितना मासूम रंगीन है एह समा
हुस्न और इश्क़ की आज में राज है
कल की किसको ख़बर जान-ए-जान
रोक लो आज की रात को
आज जाने की ज़िद ना करो
यूँही पेहलू में बैठे रहो
आज जाने की ज़िद ना करो

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