आज जाने की ज़िद ना करो
यूँही पेहलू में बैठे रहो
आज जाने की ज़िद ना करो
हाय मार जाएँगे हम तो लूट जाएँगे
ऐसी बातें किया ना करो
आज जाने की ज़िद ना करो
तुम ही सोचो ज़रा, क्यूं ना रोके तुम्हे
जान जाती है जब उठ के जाते हो तुम
तुमको अपनी क़सम जान-ए-जान
बात इतनी मेरी माँ लो
आज जाने की ज़िद ना करो
यूँही पेहलू में बैठे रहो
आज जाने की ज़िद ना करो
वक़्त की क़ैद में ज़िंदगी है मगर
चाँद घड़ियान एही हैं जो आज़ाद हैं
इनको खोकर मेरे जान-ए-जान
उम्र भर ना तरसते रहो
आज जाने की ज़िद ना करो
यूँही पेहलू में बैठे रहो
आज जाने की ज़िद ना करो
कितना मासूम रंगीन है एह समा
हुस्न और इश्क़ की आज में राज है
कल की किसको ख़बर जान-ए-जान
रोक लो आज की रात को
आज जाने की ज़िद ना करो
यूँही पेहलू में बैठे रहो
आज जाने की ज़िद ना करो
22 June, 2007
आज जाने की ज़िद ना करो
18 June, 2007
Relationships are like glass
"Relationships are like glass. Sometimes it's better to leave them broken than try to hurt yourself putting it back together."
Subscribe to:
Posts (Atom)