वो सूरज कि पहली किरण का चमकना
हरी घास पे ओस का जगमगाना
वो चिड़िया के बच्चे का डाली पे गाना
वो तितली का फूलों को छूकर के जाना
वो मंज़र, वो सूरज, वो पल याद आये
वो गुज़रे ज़माने, वो फिर याद आये
वो गरमी में माथे से टपका पसीना
ठिठुरती हुई सर्दियों का महीना
वो बारिश के पानी का सडकों पे थमना
वो पतझड़ में पत्तों का शाखों से झड़ना
वो मौसम, वो पत्ते, वो दिन याद आये
वो गुज़रे ज़माने, वो फिर याद आये
वो यारों का मिलके ठहाके लगाना
मोहब्बत भरी दास्तानें सुनाना
वो लड़ना झगड़ना वो गाना बजाना
वो हँसते हुए सारे गम भूल जान
वो साथी, वो नग़मे, वो सब याद आये
वो गुज़रे ज़माने, वो फिर याद आये
26 May, 2007
गुज़रे ज़माने
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